top of page
Writer's pictureNews Writer

73 वर्षीय बुजुर्ग को कुटुम्ब न्यायालय इंदौर ने दिलाया पत्नी का ओहदा और मांग भरने का अधिकार


पीड़िता की अधिवक्ता प्रीति मेहना ने बताया कि इंदौर निवासी, पीड़िता महिला का विवाह 40 साल पहले यवतमाल महाराष्ट्रा निवासी (परिवर्तित नाम) जगदीश से होने के बाद दोनों शहर इंदौर में ही सन 1997 तक निवास करते रहे जिसके बाद जगदीश ने उसकी माताजी की तबियत खराब होने का हवाला देकर महाराष्ट्र चला गया और तीन चार महीनों में पीड़िता खर्चा गुजारा भत्ता देने का आश्वासन दिया जिस पर पीड़िता ने भी जब महाराष्ट्र चलने की इच्छा बताने पर जगदीश ने पीड़िता को इंकार कर इंदौर में ही रहने का बोला,और सन 2006 तक अनिल इंदौर आकर पीड़िता के साथ भी समय समय पर रहता था तथा घर का खर्चा देकर लौट जाता था इसी दौरान पीड़िता भी अपनी सास की देख रेख करने साल में दो बार महाराष्ट्र जाने लगी, जिसके बाद सन 2007 में जगदीश ने पीड़िता पीड़िता को महाराष्ट्र बार बार नही आने और अनिल भी बार बार इंदौर नही आएगा ऐसा कहा गया जिस पर पीड़िता ने आपत्ति ली तो भी अनिल नही माना और सन 2008 से पीड़िता को घर खर्च देना बंद कर दिया जिसके बाद पीड़िता के सास की मौत हो जाने पर जब पीड़िता महाराष्ट्र गयी तो कुछ दिन वहां रहने पर अनिल ने झगड़ा कर पीड़िता को भगा दिया और घर खर्च उठाने से मन कर दिया फिर पीड़िता ने अपने वकील के माध्यम से जगदीश को खाने खर्चे देने का जब नोटिस भेजा तो अनिल दो दिन इंदौर आकर पीड़िता के साथ रह और उसकी आर्थिक हालात खताब होने का बोलाबकुच दिनों में उसका यवतमाल का घर 1 करोड़ में बिकने पर जगदीश को 50 लाख मिलेंगे तब जगदीश इंदौर आकर पीड़िता के साथ रहेगा ऐसा आश्वासन जगदीश ने पीड़िता को दिया।

जगदीश द्वारा बार बार झूठा आश्वासन देने और घर खर्च उठाने में आनाकानी करने पर पीड़िता ने पुनः 2015 जब जगदीश को वकील का नोटिस भेजने पर जगदीश नोटिस लेने में आना कानी करने लगा, जिस पर पीड़िता ने जब जगदीश से इंदौर में आकर साथ रहने का बोला तो जगदीश ने माना कर दिया, जिस पर 73 वर्षीय बुजुर्ग पीड़िता ने उसका स्वास्थ ठीक नहो रहने,दवाई गोलियों का खर्चा,इलाज और भरण पोषण के लिए कुटुम्ब न्यायालय इन्दौर में सन 2016 में याचिका पेश की थी।

जिस ओर से कोर्ट से भेजे नोटिस पर जगदीश कोर्ट में आया और उसने अचानक पीड़िता तो उसकी पत्नी मनाने से इनकार कर,उनके मध्य विवाह नही होने का भी बोल पीड़िता को अपनी पत्नी मनाने से इन्कार करते हुए बताया कि पीड़िता जगदीश की पत्नी ना होकर उसे जगदीश ने बहन समान रखा है,जिसके बाद पीड़िता ने प्रण लिया कि वो जगदीश के विरुद्ध कानूनी लड़ाई लड़ेगी और कोर्ट से हक मिलने पर ही अपनी मांग में जगदीश के नाम का सिंदूर भरेगी जिसके बाद पीड़िता ने पत्नी के ओहदे और हक के लिए कुटुम्ब न्यायालय इंदौर में कानूनी लड़ाई लड़ी और कोर्ट के समक्ष पीड़िता ने सबूत के तौर पर नगर पालिका का राशन कार्ड जिसमे जगदीश का नाम और फ़ोटो पति के रूप में लगा है कागज कोर्ट के सामने पेश किए।

पीड़िता के अधिवक्ता द्वारा वरिष्ठ न्यायालयों की नजीरें पेश कर बताया कि उक्त नजीरों में वरिष्ठ न्यायालयों द्वारा स्पष्ट किया है कि जहां दोनों पक्ष लंबे समय तक पति पत्नी के रुप मे साथ रहे है वहा विवाह के लिए कठोर प्रमाण की जरूरत नही हैं उक्त तर्कों और सबूतों को देख कुटुम्ब न्यायालय की अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश महोदय श्रीमती प्रवीणा व्यासजी ने अपने फैसले में पीड़िता द्वारा पेश सबूतों, और पीड़िता का जगदीश के साथ लंबी अवधि तक साथ रहने के आधार पर 73 वर्षीय पीड़िता को 75 वर्षीय जगदीश की पत्नी मान पीड़िता के हित मे पति जगदीश से 4000 प्रति माह भरण पोषण की राशि पीड़िता के आवेदन अकटुम्बर 2016 प्रस्तुति दिनाँक से पत्नी के ओहदे रूपी भरण पोषण की राशि जो फैसला दिनाँक तक कुल दो लाख बावन हजार दिलाने के आदेश के साथ केस का खर्चा भी जगदीश को उठाने का आदेश दिया।



1 view0 comments

Comentarios

Obtuvo 0 de 5 estrellas.
Aún no hay calificaciones

Agrega una calificación
bottom of page