Covid-19 Myth Busters: इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर कई तरह के मिथक प्रचलित हो रहे हैं। इन्हें लेकर आम लोगों में काफी भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। क्या है, इन मिथकों की सच्चाई, इस बारे में आपको बता रहा है ‘हिन्दुस्तान'।
दो साल से कम के बच्चों को भी मास्क पहनाना जरूरी है- हकीकत- विशेषज्ञ लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को मास्क पहनाना ठीक नहीं है। इसकी एक वजह यह है कि बच्चे खुद मास्क पहन या उतार नहीं सकते। अगर उन्हें किसी तरह की दिक्कत होती है तो वे उसे खुद उतार नहीं सकेंगे और न ही मास्क से होने वाली दिक्कतों के बारे में बता पाएंगे। दूसरी बात, बड़ों और बुजुर्गों की तुलना में बच्चों को कोरोना संक्रमण होने की आशंका बहुत कम है। टेस्ट नेगेटिव आने के बाद कोरोना का खतरा नहीं होता- हकीकत- ऐसा नहीं है। वैज्ञानिकों की मानें तो टेस्टिंग का नतीजा 10 से 30 % तक गलत हो सकता है। ऐसा ठीक से स्वैब टेस्ट न होने के कारण हो सकता है। रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो अनदेखी न करें। इस स्थिति में खुद को आइसोलेट करना ही सही रहेगा। बड़े परिवारों को संक्रमण का खतरा ज्यादा है- हकीकत- लांसेट द्वारा किए गए एक अध्ययन में ये बात सामने आई कि सात कारक हैं, जिनसे किसी को कोरोना संक्रमण का जोखिम सबसे ज्यादा होता है। इनमें घनी आबादी में निवास, मोटापा व क्रॉनिक किडनी रोग आदि शामिल हैं। इसी अध्ययन में ये बात भी सामने आई है कि बड़े परिवारों को कोरोना संक्रमण का जोखिम अधिक होने का कोई प्रमाण अभी तक नहीं मिला है।
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