कोरोना वायरस के लिए लार या सलाइवा से किफायती जांच में लोग खुद ही बहुत कम परेशानी के साथ अपना नमूना ले सकेंगे और इसमें नाक या गले के अंदर से स्वाब का नमूना लेने की जरूरत नहीं होगी। वैज्ञानिकों के अनुसार यह कोरोना का पता लगाने का आसान तरीका हो सकता है। यहीं नहीं कोरोना जांच के परिणाम भी तेजी से आएंगे।
भारत में जांच का यह तरीका अभी शुरू नहीं हुआ है। वैज्ञानिकों ने इस वैकल्पिक जांच पद्धति पर मुहर लगाते हुए कहा कि इससे जांच अधिक सटीक होंगे। नमूने एकत्रित करते समय स्वास्थ्य कर्मियों के लिए जोखिम भी कम रहेगा।
की एल एंड टी माइक्रोबायलॉजी रिसर्च सेंटर में वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसर एआर आनंद ने कहा,यह विशेष तरह का भी है क्योंकि इसमें आरएनए (राइबो न्यूक्लिएक एसिड) को अलग निकालने का अतिरिक्त चरण भी नहीं है।
यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि दूसरी जांचों में इस चरण के लिए इस्तेमाल किट की पहले कमी रही है। उन्होंने कहा कि लार की जांच करना बहुत आसान है। इसमें केवल कुछ रीएजेंट और रीयल टाइम पॉलीमरेज चेन रियेक्शन (आरटी₨-पीसीआर) मशीन की जरूरत होती है।
अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) ने इसी सप्ताह येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ को लार से डायरेक्ट कोरोना जांच तरीके के आपात स्थिति में उपयोग की मंजूरी प्रदान की थी। इसके बाद से इस तकनीक पर चर्चाएं तेज हो गई है।
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