अक्षय कुमार की दूसरी फिल्म दर्शकों के समक्ष आई है। पहली 'बेल बॉटम' थी, जो ओटीटी पर रिलीज हुई। ये दोनों फिल्में दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल साबित हुई हैं। उन्होंने निर्देशक रोहित शेट्टी के साथ काम करने, अपनी दोनों फिल्मों के सफल होने के कारण आदि के बारे में बताया।
रोहित को मैं तब से जानता हूं, जब वे फिल्म असिस्टेंट थे। उस समय वे बताने आते थे कि शॉर्ट रेडी है। वे ब्रिलियंट बॉय थे और हार्ड वर्किंग भी। उनके जैसे बहुत कम डायरेक्टर हैं, जो खुद भी काम करते हैं और उसमें इंटरेस्ट लेते हैं। मैं मोटर साइकिल का स्टंट कर रहा था, तब रोहित भी मेरे साथ-साथ वह स्टंट करते रहते थे। उन्हें पहले दिन से हार्ड वर्किंग करते देखते आया हूं।
मैं समझता हूं कि ऑडियंस हर किस्म की फिल्में, हर किस्म का जॉनर देखना चाहती है। पर मेरे हिसाब से स्क्रिप्ट, स्क्रीन प्ले, राइटर पावर अच्छा होना चाहिए।
यह फॉर्मूला तो आज तक किसी को भी नहीं मिला, किसी को नहीं पता। कोई नहीं बता सकता कि फिल्म चलने और न चलने का क्या कारण है? कभी-कभी तो मैंने देखा है, जिसे अपने करियर के हिसाब से बता सकता हूं कि स्क्रिप्ट अच्छी होती है, फिल्म अच्छी दिखती है, लोग ट्रायल के अंदर वाह-वाह करते हैं। स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले पर मेहनत जरूर करो, पर हंसी-खुशी से फिल्म बनाओ, मैं यह समझता हूं।
समय का पाबंद हूं, इसलिए लोगों की लेट-तलीफी के चलते इंतजार करना पड़ता है। यह तो थोड़ा-बहुत होता ही है। कभी तीन-चार घंटे तो कभी इससे ज्यादा करना पड़ता है। डायरेक्टर को बोल देता हूं कि पहले मेरा सोलो शॉर्ट ले लो। इस तरह सब कुछ मैनेज कर लेता हूं और हो भी जाता है।
सालों बाद 'टिप-टिप बरसा पानी' गाना करके अच्छा लगा। यह आइकॉनिक गाना है। इसके अलावा 'चुरा के दिल मेरा', 'भोली भाली लड़की', 'तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त' जैसे बहुत सारे गाने हैं, इन गानों ने ही मेरे करियर को बूस्ट किया है।
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