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असदुद्दीनओवौसी ने कहा कि ये दुर्भाग्य हैबीजेपी ने ख़ुलेआम मुसलमानों के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा कर है



ग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि

: जहां भी बीजेपी सत्ता में है वहां वो इसे लेकर कोई दिखावा भी नहीं कर रही है.


उन्होंने कहा कि "राजनीतिक पार्टियों आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिवसेना के बीच कौन कितना बड़ा हिंदू है ये साबित करने की होड़ लगी हुई है. आप देखेंगे कि कई राज्यों से ये मामला सामने आया है. आपने देखा करौली में क्या हुआ, झारखंड में क्या हुआ और लाउडस्पीकर को लेकर महाराष्ट्र में क्या हो रहा है- एक कभी ना ख़त्म होने वाला चक्र बन चुका है क्योंकि हर राजनीतिक दल के पास अब कोई वैचारिक आधार नहीं बचा है. हर कोई ये साबित करने में लगा है कि हम बड़े और बेहतर हिंदुत्व की पॉलिटिक्स करने वाली पार्टी है."


अख़बार से बात करते हुए मध्य प्रदेश के खरगौन में सरकार की बुलडोज़र कार्रवाई पर ओवौसी ने कहा कि "ये दुर्भाग्य है कि मीडिया भी ज़मीनी हकीकत नहीं दिखा रहा है. जो खरगौन में हुआ है वो बेहद भयावह है. वहां ऐसे मुस्लिम परिवार हैं जिन्होंने तीन-चार दिनों से खाना नहीं खाया है क्योंकि उनके घरों को इस संदेह पर ध्वस्त कर दिया गया है कि उन घरों से पथराव किया गया था.''


"जो मध्य प्रदेश में हुआ है और जो दिल्ली में हुआ उससे सीधा संदेश मिल गया है कि बीजेपी क़ानून के शासन पर यकीन ही नहीं करती है. हम मेरे जैसे लोग खरगौन में सबूत मांगते हैं तो ये कहते हैं कि हमारे पास वीडियो है जहां इन घरों से पत्थर फ़ेंके गए."


'मस्जिद का गेट गिराया लेकिन मंदिर के अवैध निर्माण पर कोई एक्शन नहीं'


ओवैसी ने कहा कि "दिल्ली में आपने देखा होगा कि दिल्ली बीजेपी प्रमुख ने 20 अप्रैल को चिट्ठी लिखकर दंगाइयों के अवैध अतिक्रमण को हटाने की मांग की थी. अब यह तय करने वाले आप कौन होते हैं कि दंगाई कौन हैं और कौन नहीं?"


"ये तय करना कोर्ट का काम है जो बीजेपी कर रही है वो वीजिलेंट जस्टिस है. यह आख़िरकार कानून के शासन को कमज़ोर करेगा."


"कानून के शासन और मौलिक स्वतंत्रता की गारंटी संविधान में दी गई है लेकिन आज वो दांव पर है. हम देख रहे हैं कि आप (बीजेपी) स्पष्ट रूप से तय करते हैं कि किसका घर गिराया जाना चाहिए क्योंकि आप जज, जूरी ख़ुद बन बैठे हैं."


"अब, अगर बीजेपी सभी अतिक्रमणों को ध्वस्त करने को लेकर इतनी गंभीर है तो 2019 में आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली में 1,797 अनधिकृत कॉलोनियां हैं. मैं बीजेपी सरकार को चुनौती देता हूं. क्या आप जाकर सैनिक फार्म, वसंत कुंज एन्क्लेव, छतरपुर एन्क्लेव और सैदुलजब एक्सटेंशन की कॉलोनियों पर बुलडोज़र चलाएं."


"2008-09 में दिल्ली विधानसभा के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि शहर की 23.7 प्रतिशत आबादी ही नियोजित कॉलोनियों में रहती है, क्या आप बाकी सभी कॉलोनियों को ध्वस्त कर देंगे?"


"आपने बुलडोज़र से मस्जिद का गेट गिरा दिया. लेकिन उसी क्षेत्र में एक मंदिर के तथाकथित अनधिकृत अतिक्रमण पर बुलडोजऱ नहीं चलाया जाता."


सीबीएसई ने दसवीं पाठ्यक्रम से फ़ैज़ की कविताएं हटाईं


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सीबीएसई के छात्रों ने एनसीईआरटी की कक्षा 10 की पाठ्यपुस्तक "डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-।।" के "धर्म, सांप्रदायिकता और राजनीति - सांप्रदायिकता, धर्मनिरपेक्ष राज्य" सेक्शन से फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की उर्दू की दो कविताओं- 'आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो' और 'हम के ठहरे अजनबी इतने मदारातों को हटा दिया गया है.'


अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, एक दशक से दसवीं के पाठ्यक्रम में इन उर्दू कविताओं का ट्रांसलेशन पढ़ाया जा रहा था.


इन कविताओं को सीबीएसई के 2022-23 शैक्षणिक पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है, नया पाठ्यक्रम गुरुवार को जारी किया गया.


करिकुलम डॉक्युमेंट जिसमें कक्षा 10 के लिए सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम को सूचीबद्ध किया गया है, उसके अनुसार, धर्म, सांप्रदायिकता और राजनीति का सेक्शन पाठ्यक्रम का हिस्सा बना रहेगा- "लेकिन इसमें पेज 46, 48, 49 पर छपे पोस्टर अब पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं रहेगा."


इनमें से एक पोस्टर पर फ़ैज़ की कविता का इलस्ट्रेशन है. इस पोस्टर को अनहद एनजीओ ने जारी किया था जिसे पाठ्यक्रम में शामिल किया था. इस एनजीओ के फाउंडर शबनम हाशमी और हर्ष मंदर हैं.


पीएम मोदी के दौरे से पहले जम्मू में मारे गए दो चरमपंथी


अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू में छपी ख़बर के मुताबिक़, जैश-ए-मोहम्मद के दो अज्ञात चरमपंथी शुक्रवार को जम्मू में मारे गए. बताया जा रहा है कि ये दोनों चरमंथी एक फिदायीन हमले के मिशन पर थे.


ये घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से दो दिन पहले हुई है.


चरमपंथियों की ओर से ये हमला तड़के करीब 4:25 बजे किया, जब सीआईएसएफ के करीब 15 जवान जम्मू के सुंजवां इलाके में घेराबंदी और तलाशी अभियान के लिए जा रहे थे.


सीआईएसएफ के जवानों ने चरमपंथियों से मुठभेड़ की और "उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर किया" और "आसपास के इलाके में छिप गए."


मुठभेड़ के दौरान ज़ोरदार धमाकों से इलाके में दहशत फैल गई, जिससे आसपास के सभी स्कूलों को दिनभर के लिए बंद करना पड़ा और इलाके में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गईं.



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