google.com, pub-7426844799863068, DIRECT, f08c47fec0942fa0 google.com, pub-7426844799863068, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page

ऐतिहासिक कंस वधोत्सव का हुआ आयोजन



ऐतिहासिक कंस वधोत्सव का हुआ आयोजन


लगातार दूसरे वर्ष गाइड लाइन के पालन में नहीं निकला चल समारोह


सोमवारिया बाजार में सांकेतिक रूप से किया देव-दानवों के बीच वाकयुद्ध का आयोजन


रात 12 बजे श्रीकृष्ण ने किया कंस का वध


कंस को लाठियों से पीटते हुए ले गए गवली समाज के लोग


स्लग-कंस वध।

रिपोर्ट-वरुण त्रिवेदी,शाजापुर।

एंकर-शाजापुर शहर की 268 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक परंपरा कंस वधोत्सव कार्यक्रम रविवार को लगातार दूसरे वर्ष कोरोना संक्रमण को लेकर शासन द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन करते हुए मनाया गया। चल समारोह को निरस्त करते हुए सांकेतिक रूप से देव और दानव का रूप धरे कलाकारों के बीच सोमवारिया बाजार स्थित कंस चौराहे पर वाकयुद्ध का आयोजन किया गया। रात 12 बजे श्रीकृष्ण का रूप धरे कलाकार ने कंस के पुतले का वध किया और उसके बाद कंस के पुतले को सिंहासन से नीचे गिराया गया और लाठी लेकर खड़े गवली समाज के युवा उसे पीटते हुए ले गए.


देवता और दानवों के बीच हुआ वाक युद्ध


वीओ-रात करीब 10 बजे सोमवारिया बाजार में श्रीकृष्ण, बलराम, धनसुखा और मनसुखा का रूप धरे कलाकार पहुंचे। वहीं कंस के दरबारी के रूप में दानवों का रूप धरकर आधा दर्जन कलाकार आ गए। यहां पर देव और राक्षसों के बीच जमकर वाकयुद्ध हुआ। इस वाकयुद्ध में वर्तमान परिदृश्य के आधार पर तैयार किए गए संवाद कहे गए। जिसका उपस्थितजनों ने लुत्फ उठाया। देवता और दानवों ने वर्तमान मुद्दों को लेकर एक-दूसरे पर जमकर कटाक्ष किए। क्यों रे करम के जले मुझसे बोला सारे सैनिकों के मकान जला दूंगा, अरे में प्रधानमंत्री आवास योजना चला दूंगा.इस तरह से तात्कालिक विषयों पर देवता और राक्षसों की सेना के बीच संवाद होते हैं और इन संवादोंय का लुफ्त शहरवासी उठाते हैं.इस आयोजन में राजकुमार पांडे, ऋषभ भट्ट सहित अन्य दो युवकों ने श्रीकृष्ण, बलराम और उनके सखाओं का रूप धरा। इसी तरह कंस के दरबारी राक्षसों में अनिल गुप्ता, विलेश व्यास सहित अन्य शामिल रहे। सोमवारिया बाजार में वाकयुद्ध में पराजित होने के बाद दानवों का रूप धरे कलाकार यहां से हट गए।


12 बजते ही होता है कंस वध


वीओ-रात 12 बजे श्री कृष्ण, बलराम सहित अन्य ने कंस चौराहा पर बनाए गए मंच पर विराजित कंस के पुतले का पूजन कर मंच से नीचे पटक दिया। पुतले के नीचे आते ही गवली समाज के लोगों ने उस पर लाठियां बरसाना शुरू कर दी। इसके बाद समाजजन पुतले को घसीटते हुए यहां से ले गए।


Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page