कोलेस्ट्रॉल बढ़ने या घटने से ऑटिज्म जैसी मानसिक दिव्यांगता विकसित हो सकती है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय समेत तीन संस्थानों के अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। ऑटिज्म के मरीज न तो अपनी बात ठीक से कह पाता है ना ही दूसरों की बात समझ पाता है और न उनसे संवाद स्थापित कर सकता है। यदि इन लक्षणों को समय रहते भांप लिया जाए, तो काबू पाया जा सकता है।
प्रतिष्ठित नेचर पत्रिका में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चे के धीमे मानसिक व शारीरिक विकास से जुड़ी इस बीमारी के लक्षण बचपन में ही दिखने लगते हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय, मैसाचुएट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोलेस्ट्रॉल और ऑटिज्म के संबंध के बारे में जानने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन किया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि ऑटिज्म के सबटाइप वाली एक बीमारी उन्हीं अनुवांशिक तत्वों से होती है जो शरीर में कोलेस्ट्रोल मेटाबोलिज्म और मस्तिष्क विकास को नियंत्रित करते हैं। वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क के नमूनों के डीएनए अध्ययन से पाया कि लिपिड डायफंक्शन और ऑटिज्म के बीच साझा आणुविक जड़ें होती हैं।
फिर वैज्ञानिकों ने ऑटिज्म पीड़ित लोगों के मेडिकल रिकॉर्ड का अध्ययन करके इस बात की पुष्टि की। लिपिड जीवित कोशिकाओं में एक महत्वपूर्ण अवयव होता है जो एल्कोहल में घुलनशील है। अध्ययनकर्ता इसहाक कोहेन का कहना है कि शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि यह बहुत जटिल बीमारी है और इसके विभिन्न प्रकार अलग-अलग कारणों से उत्पन्न होते हैं।
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