जबलपुर। जबलपुर में बढ़ते ठगी का एक और मामला सामने आया । जहां खाता खोलते समय फिंगर प्रिंट का उपयोग 70 साल के वृद्ध के लिए नुकसानदेह साबित हुआ। कियोस्क संचालक ने केवायसी के लिए उस दौरान अपने फिंगर प्रिंट भी लगाए थे। जिसका दुरुपयोग कर उसने पांच साल बाद वृद्ध के खाते से 3 लाख 45 हजार रुपये पार कर दिए। शिकायत मिलने पर पुलिस जांच पड़ताल में जुटी। सायबर सेल की मदद से पुलिस आरोपित तक पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपित के कब्जे से बैंक से निकाली गई रकम में से एक लाख 56 हजार रुपये जब्त कर लिए गए हैं। शेष रकम उसने बीमार पत्नी के उपचार तथा घरेलू कामकाज में खर्च कर दिए थे। गिरफ्तार आरोपित राम पटेल 28 वर्ष निवासी ग्राम ताला बुढ़ागर गोसलपुर से कड़ी पूछताछ की जा रही है।मामला ग्राम तपा पोस्ट कैलवास मझौली निवासी कोमल सिंह परिहार 70 वर्ष का है जिसका भारतीय स्टेट बैंक की पनागर शाखा में खाता है। उन्होंने लंबे समय से बैंक से लेनदेन नहीं किया था। 25 अप्रैल को वे गांधीग्राम स्थित एटीएम में खाते के जमा रकम का पता करने पहुंचे तो हकीकत सामने आई। उनके बैंक खाते से 4 फरवरी से 17 मार्च के बीच 3 लाख 45 हजार रुपये निकाले जा चुके थे। जिसके बाद उन्होंने बैंक अधिकारियों से घटना की शिकायत की। बैंक की जांच में पता चला कि ग्राहक सेवा केंद्र इमलिया अधारताल से खाते में जमा रकम निकाली गई है। पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा के निर्देश पर अधारताल थाना व सायबर सेल की टीम गठित कर आरोपित की पतासाजी की जा रही थी। कोमल सिंह परिहार ने पुलिस को बताया कि उनका मोबाइल नंबर बैंक खाते से लिंक है। बैंक में होने वाले किसी भी लेनदेन की सूचना उन्हें मोबाइल पर मैसेज से प्राप्त होती है। हैरानी की बात यह है कि 4 फरवरी से 17 मार्च के बीच 3 लाख 45 हजार रुपये निकालने का मैसेज उन्हें मोबाइल पर नहीं मिला था। जिससे आशंका होती है कि बैंक के साफ्टवेयर में सेंध लगाकर उनके खाते से रकम पार की गई। थाना प्रभारी मिश्रा ने बताया कि आरोपित की तलाश की जा रही है। महेंद्र पटेल 2016-17 में भारतीय स्टेट बैंक खिन्नी शाखा में कियोस्क चलाता था। कोमल सिंह परिहार का बैंक खाता खोलते समय उसने स्वयं का फिंगर प्रिंट बैंक खाते की केवायसी में दर्ज कराया था।
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