कुछ समय से विश्व में फैली इस महामारी से हर व्यक्ति ने कुछ ना कुछ खोया है वही फिर से करो ना की तीसरी लहराने से लोग परेशान हैं पर लोगों ने अब घर पर ही रहकर छोटी-छोटी खुशियों के साथ जीना सीख लिया है वहीं जनवरी आते ही लोगों में मकर संक्रांति को लेकर काफी उत्साह हो जाता है और यही उत्साह अब बाजारों में भी देखने को मिल रहा है मकर संक्रांति का पर्व शुक्रवार को पूरा देश मनाएगा सुबह से लोग पूजा पाठ के साथ ही दीप दान पुण्य और तिल गुड़ के लड्डू से मुंह मीठा कराते दिखाई देंगे तो वही बच्चे पतंग लेकर छात्रों की ओर रुख करेंगे हालांकि इस मकर संक्रांति पर कुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा है उड़ान से पतंग की जिंदगी बचाने का संदेश दे रही है। शहर के अनेक इलाकों में मकर संक्रांति के पहले ही पतंग कब बाजार सज जाते थे लेकिन इस महामारी के वजह से इन बाजारों में कमी आई है। हालांकि इन पतंगों के फेमस नाम भी बाजार में दिखाई दे रहे हैं। जैसे चील, परेल, कानबाज, नीलमपरी, चांदबाज, लिप्पू और डग्गा यह पतंग के नाम उनके आकार और प्रकार रंग के आधार पर रखे गए थे। जिसे आज भी लोग इस नाम से जानते हैं वहीं बाजारों में पन्नी की पतंग और कार्टून बनी पतंगे भी बिक रही हैं।
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