top of page
Writer's pictureNews Writer

कोरोना को लेकर ग्रामीणों का काबिले तारीफ निर्णय,नही कराएंगे चुनाव,बनाई आम सहमति


बैतूल के छोटे से गांव ने देश को दिया बड़ा संदेश । ग्रामीण बोले कोरोना के कारण नही करा रहे चुनाव सहमति से सरपंच और पंचों का किया चयन । पंचायत चुनाव में एक अनोखी तस्वीर बैतूल जिले के देवपुर कोटमी से सामने आई है।  यहां एक गांव में कोविड के दौरान एक एक कर मौत का शिकार हुए एक दर्जन मौतों ने ग्रामीणों को इतना खौफजदा किया कि उन्होंने कुर्सी के लिए लड़ने झगड़ने से तौबा कर ली।  ग्राम पंचायत में आदिवासी महिला सरपंच से लेकर 20 पंच  तक आम सहमति चुन लिए गए। कुर्सी के लिए न कोई लड़ाई,न झगड़ा न पार्टी बंदी न वैमन्यस्ता।  गांव वालों की इस पहल की खूब तारीफ की जा रही है। देखिये ये खास रिपोोर्ट

बैतूल के चिचोली जनपद की देवपुर कोटमी में पंचायत चुनाव में सरपंच से लेकर पंच तक बिना किसी लड़ाई झगड़े, प्रतिद्वंदिता और चुनाव के आम राय से चुन लिए गए हैं । कोविड में हुई मौतों का यहां ऐसा डर बैठा की गांव वालों ने तय किया कि गांव में सरपंच और पूरे 20 पंच बिना किसी चुनाव के चुने जाएंगे। उन्होंने किया भी ऐसा ही।वार्ड से लेकर गांव तक जो सबसे ज्यादा पढा लिखा था।उसे सरपंच और पंच बना दिया गया। 

ग्रामीणों ने बैठक कर यहां आपसी सहमति बनाकर तय किया कि किसी भी वार्ड में पंच के लिए कोई दूसरा फार्म न भरे। ऐसा ही सरपँच पद के लिए किया गया। नतीजा यह हुआ की सरपंच और पंच निर्विरोध चुन लिए गए। यहां आदिवासी महिला निर्मला अम्बर इवने को सरपँच चुना गया है। यह पंचायत आदिवासी महिला के लिए आरक्षित है। कोविड त्रासदी के दौरान इस ग्राम पंचायत में एक दर्जन लोगों ने जान गँवाई थी।  मौतों ने सारे गांव को एक प्रेरणा दी कि जब सबको मरना ही है तो पार्टी बंदी और वैमनस्यता क्यो की जाए। इसी बीच जब पंचायत चुनाव आये तो एक बैठक आयोजित कर तय किया गया कि कोई भी सरपंच और पंच चुनाव के लिए एक दूसरे के खिलाफ नामांकन फार्म नही भरेगा। सभी पद आम राय से तय किये जायेंगे। बैठक के बाद महासभा  में भी यही आम सहमति बनी और जो चुनाव लड़ना भी चाहते थे । उन्होंने भी फार्म न भरकर आम राय को मजबूत कर दिया। ग्रामीणों ने बैठक में तय किया कि ग्राम पंचायत चूंकि आदिवासी महिला के लिए आरक्षित है। इसलिए इस वर्ग की सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी जो भी महिला होगी उसे सरपंच बना दिया जाए। वार्डो में जो पंच ज्यादा पढ़े और सक्षम है जिनकी दुसरो पर निर्भरता कम है।उन्हें इन पदों के लिए चुन लिया जाए।  इस फैसले के बाद गांव में दसवीं कक्षा तक पढ़ी निर्मला अम्बर इवने को सरपंच चुन लिया गया।जबकि ऐसे ही 20 पंच भी चुन लिए गए । इनमे सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा युवक 12 वी पास है। सरपंच पद के लिए चुनी गई निर्मला की प्राथमिकता है कि गांव में हायर सेकेंडरी स्कूल खुल जाए यही नहीं गांव में महिलाओं को पेयजल के लिए दूर तक ना करना पड़े इसकी वजह यह है कि गांव में मिडिल स्कूल के  आगे पढ़ने के लिए बच्चों को दूसरे गांव की राह पकड़नी पड़ती है जबकि गांव में शुरू हुए नल जल योजना भी शुरू होने के बाद ही बंद हो गई थी सरपंच ने भरोसा जताया है कि पद संभालते ही उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है यही होगी बच्चों के लिए शिक्षा और महिलाओं के लिए पेयजल संकट को दूर करना। पूरे गांव की इस पहल की हर तरफ सराहना की जा रही है इस इलाके के रिटर्निंग ऑफिसर तहसीलदार नरेश सिंह राजपूत ने ग्रामीणों की एक पहल की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि इस गांव से सिर्फ एक एक व्यक्तियों का ही नामांकन मिला था अब आगे निर्वाचन आयोग के जैसे निर्देश होंगे वैसे परिणाम की घोषणा की जाएगी यह बहुत अच्छी पहल है एकजुट होकर निर्णय लिया जाना अनुकरणीय है। कहते है पंच में परमेश्वर बसता है। यह एक होकर ही किया जा सकता है। ग्रामीणों के फैसले ने बाकी पंचायतो को भी नई राह सुझा दी है।

2 views0 comments

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page