जबलपुर - जबलपुर किसान को मिलने वाली खाद-बीज हो या बिजली या फिर पानी। ये सब देश के किसान को सहज व वाजिब मूल्य पर उपलब्ध होना चाहिए लेकिन आज प्रदेश का किसान इन सब मूलभूत आवश्यकताओं के लिए संघर्ष कर रहा है। उक्त बातें भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल ने कहीं। राघवेंद्र पटेल ने कहा कि खाद बीज की कालाबाजारी जिले में चरम पर है। नकली डीएपी हो या नकली बीज सभी का गोरखधंधा जिले में फलफूल रहा है। उन्होंने जिला कलेक्टर से मांग करते हुए कहा कि सभी इनपुट डीलर की सघनता से जांच की जानी चाहिए।
डीएपी की हो रही भारी कालाबाजारी
भारतीय किसान संघ के प्रांत महामंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने डीएपी की कालाबाजारी का आरोप लगाते हुए कहा कि शासन द्वारा वितरित की जाने वाली डीएपी की वितरण व्यवस्था चरमरा गई है। सभी खाद वितरण केंद्रों पर घंटो लाईन में लगने के बाद भी एक बोरी डीएपी खाद मिलना मुश्किल है। वहीं दूसरी ओर निजी इनपुट डीलर के पास डीएपी की भरमार है और वह उसे 1800 से 2000 रुपए प्रति बैग बेंच रहा है। जबकि इसका अधिकतम खुदरा मूल्य 1350 रुपए प्रति बैग है। प्रश्न उठता है कि जब डीएपी की सॉर्टेज है तो बाजार में कैसे मिल रही है।
क्यों जरूरी है डीएपी खाद
डीएपी आधार खाद है, जब बीज खेत में बोया जाता है तो बीज के स्वस्थ जर्मनेशन, जड़ों के विकास के लिए इसे किसान खेत में डालता है। इसमें 18 प्रतिशत नाइट्रोजन व 46 प्रतिशत फास्फोरस की मात्रा होती है। इसे प्रति एकड़ 50 किलोग्राम उपयोग किया जाता है।
बीज वितरण में भी घोटाला
किसान संघ के जिला मंत्री व शहपुरा के किसान धनंजय पटेल ने बताया कि बीज निगम के माध्यम से किसानों को रियायती दर पर वितरित किए जाने वाले बीजों में भी जमकर घालमेल किया जा रहा है। जब किसान को आज बीज की आवश्यकता है तो शासन द्वारा किसान को वितरण नहीं किया जा रहा है। जब किसान बाजार से महंगे दाम पर बीज खरीद कर बौनी कर लेगा तब शासन द्वारा उसका वितरण किया जाता है। बाद में किसान को वितरण दिखाकर बाजार में अधिक दामों पर बेंच दिया जाता है।
भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष रामदास पटेल ने जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि प्रशासन जिले में खाद बीज की पर्याप्त व्यवस्था करे और कालाबाजारी व नकली खाद का विक्रय करने वाले इनपुट डीलर पर कड़ी कार्यवाही की जाए।
जबलपुर से कार्तिक गुप्ता की रिपोर्ट
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