साल 2013 में मुंबई में हुए केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सजा पर अंतिम फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को दी गई फांसी की सजा रद्द कर दी है। जस्टिस एस एस जाधव और जस्टिस पृथ्वीराज चौहान ने फैसला सुनाया है। इससे पहले सेशन कोर्ट ने तीनों दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी और एक को उम्र कैद दी गई थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, 'मृत्युदंड अभियुक्त की पश्चाताप की अवधारणा को समाप्त कर देता है। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि दोषियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए. वे जीवन भर पश्चाताप के पात्र हैं। उनके मामले में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है और वे समाज में दोबारा शामिल होने के लायक नहीं हैं।'
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