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दिव्यांगजनों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने मददगार साबित हो रहा दिव्य कला मेला दिये, सजावटी सामग्री से लेकर दिव्यांग जनों द्वारा तैयार कलाकृतियाँ बनीं आकर्षण का केंद्र


जबलपुर। केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से एमएलबी स्कूल के खेल मैदान में आयोजित किए जा रहा 21 वाँ दिव्य कला मेला दिव्यांगता से दिव्यता की ओर आगे बढ़ रहा है। ग्यारह दिनों के दिव्य कला मेले में देश के विभिन्न राज्यों के दिव्यांगजनों द्वारा तैयार उत्पादों को प्रदर्शन एवं विक्रय के लिए रखा गया है। एक ओर यह मेला जहां दिव्यांगजनों का मनोबल बढ़ाकर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर यह दिव्यांगजनों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर उनके उज्जवल भविष्य की नींव रखने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

देश के अलग-अलग राज्यों के दिव्यांगजनों द्वारा तैयार उत्पादों के प्रदर्शन के साथ-साथ स्थानीय दिव्यांगजनों को भी अपने कला कौशल के प्रदर्शन का अवसर दिव्य कला मेले में उपलब्ध कराया गया है। विजयनगर, जबलपुर स्थित वंदन पुनर्वास एवं अनुसंधान संस्थान में अध्यनरत 8 से 15 वर्ष की आयु के दिव्यांग छात्र-छात्राओं द्वारा हस्तशिल्प कला से निर्मित मिट्टी के आकर्षक उत्पादों का स्टॉल लगाया गया है। दीपावली पर्व के अवसर पर आयोजित मेले दिव्यांगजनों द्वारा तरह-तरह के दीपक, बंदनवार एवं साजो-सज्जा की अन्यान्य आकर्षक सामग्रियों को प्रदर्शन और विक्रय के लिए रखा गया है।

दिव्यकला मेले में लगे अपने स्टॉल पर मौजूद संस्थान के छात्र अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि वह उमरिया जिले के बांधवगढ़ से हैं और यहां हॉस्टल में रहकर अध्ययन प्राप्त कर रहे हैं। वह पहले बाजार से विभिन्न आकृतियों के दिये क्रय करते हैं और उन्हें पानी में भिगोकर रख देते हैं। सूख जाने के बाद दीपकों को रंगते हैं और उसमें सुंदर-सुंदर आकृतियों का निर्माण कर उन्हें बेचने के योग्य बनाते हैं। स्टॉल में 60 रुपए से लेकर 150 रुपए तक के दीपक उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि 60 रूपए में एक जोड़ी, 120 रूपए में 25 दीपक एवं 150 रूपए में 25 दीपकों के साथ एक बड़ा दीपक का सेट सहित सजावट की अन्य सामग्रियाँ विक्रय के लिए रखी गई हैं। अखंड ने संस्कारधानी वासियों से मेले में आकर दीपक एवं अन्य सामग्रियां खरीदकर दिव्यांगजनों को प्रोत्साहित करने की अपील की है।

वंदन पुनर्वास एवं अनुसंधान संस्थान की शिक्षिका उषा कुमारी ने बताया कि संस्थान में मंदबुद्धि, श्रवणबाधित एवं दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार नृत्य, संगीत एवं कला के विभिन्न आयामों से सम्बंधित शिक्षा भी प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि मेले में उत्पादों को बेचकर होने वाले लाभ से विद्यार्थियों की हस्तशिल्प कला को और अधिक ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास किया जाएगा।

दिव्‍य कला मेले में देश के विभिन्न राज्यों से आए दिव्‍यांगजनों के उत्पादों एवं शिल्‍प कौशल के प्रदर्शन के लिए करीब 100 स्‍टॉल लगाये गये है। इनमें दिव्यांग जनों द्वारा कपडे, कालीन, धातु एवं मिट्टी से निर्मित उत्पाद, सजावटी सामग्री एवं ब्रेल लिपि में उपलब्ध पुस्तकों के स्टॉल शामिल हैं। दिव्यांगजनों के उत्पादों एवं शिल्प कौशल के प्रदर्शन के लिये 17 से 27 अक्टूबर तक आयोजित किये जा रहे दिव्य कला मेला में दिव्यांगजनों द्वारा रोज शाम आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी की जा रही है। दिव्यांगजनों द्वारा खान-पान के स्टॉल भी यहाँ लगाये गये हैं।

दिव्य कला मेला में दिव्यांगजनों को राष्ट्रीय दिव्यांगजन वित्त एवं विकास निगम द्वारा बैंकों के माध्यम से स्वरोजगार स्थापित करने तथा गृह, वाहन और शिक्षा के लिये ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। दिव्यांगजनों के यूआईडी कार्ड भी बनाये जा रहे हैं, उन्हें रियायती दर पर सहायक उपकरण उपलब्ध कराने भी दिव्य कला मेला में अलग स्टॉल लगाया गया है। दिव्य कला मेला में व्यवसाय और उद्योग का सफल संचालन कर रहे दिव्यांग उद्यमियों का तथा अलग-अलग क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित करने वाले दिव्यांगजनों का सम्मान भी किया जायेगा।

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