जबलपुर। जिले में समर्थन मूल्य पर धान और गेहूं की खरीदी शुरू होते ही भंडारण के लिए प्रशासन की सांसें फूलने लगती हैं। वर्तमान में निजी और वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के गोदामों में 15 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा का अनाज भंडारित है। हर वर्ष इसमें इजाफा हो जाता है। कई वर्षों पुराना गेहूं, धान के अलावा चावल रखा है। यह खराब भी होता है। करोड़ों रुपए किराया और कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए खर्च करना पड़ता है।
वही सिहोरा के बंदरकुला धान खरीदी केंद्र में अव्यवस्थाओं का आलम, अन्नदाता किसान परेशान है जिसको लेकर किसानों ने अपनी आपबीती बताई किसानों को मैसेज देने के बाद भी उनकी धान तलाई कार्य पूर्ण रूप से नहीं हो पा रहा है। किसान अपनी धान को लेकर खरीदी केंद्र पहुंच रहे हैं और परेशान हो रहे हैं तुलाई कार्य पूर्ण रूप से नहीं हो पा रहा है बार बार दानो की कमी बनी हुई है जिससे किसानों को परेशानी हो रही है किसानों ने बताया कि यहां पर चार समितियां निर्धारित की गई हैं जिससे कि आप अवस्थाएं फैल गई हैं जो जिम्मेदार अधिकारी हैं वह मौजूद नहीं रहता उनके मोबाइल नंबर भी समस्या के लिए दिए गए हैं पर मोबाइल चालू नहीं रहता जब शिकायतकर्ता अपनी समस्या को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों का फोन लगाता नहीं लगता ऐसे में यह खरीदी केंद्र में किस तरीके का कार्य किया जा रहा है।
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है अन्य दाता स्वयं अपने अन्य को लेकर खरीदी केंद्र में खड़ा है और अपनी आपबीती बयां कर रहा है। वही खुले में पड़ी धान ओर खराब मौसम कि वजह से भी किसान परेशान है पर अधिकारियों को इससे को मतलब नहीं है। जहां पैदावार तो खूब है पर धान रखने की जगह नहीं
धान की खरीदी के साथ उसका गोदामों में भंडारण मुश्किल हो गया है। जिले में पहले ही गोदाम ठसाठस भरे हैं। ऐसे में शहर से इंदौर और उज्जैन जिला रैक के जरिए धान भेजना पड़ रहा है। जगह नहीं होने के कारण 70 से 80 हजार मीट्रिक टन धान को खुली जगह (ओपन कै प) में रखना होगा। जबकि इसी बात पर हाल में न्यायालय ने भी सवाल उठाए हैं। यह तो धान की स्थिति है। अब जब अप्रैल के अंत में गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी होगी तब स्थिति क्या होगी, यह बड़ा सवाल है।
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