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फर्जी डॉक्टर की फर्जी डिग्री का होगा पोस्टमार्टम..फर्जीयों से रिस्ता निभाने वाले अधिकारी पर भी गिर 

फर्जी डिग्री व पंजीयन से सरकारी आयुष डाक्टर बनने वाले झोलाछाप डाक्टरों से वेतन वसूली व पंजीयन निरस्ती के संबंध में जनहित याचिका में जारी किए गए नोटिस


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उच्च न्यायालय जबलपुर की युगल पीठ में वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी दिनेश प्रीत व ऋषिकेश सराफ द्वारा दायर जनहित याचिका क्रमांक 22608/2023 में उच्च न्यायालय जबलपुर के मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायाधीश विशाल मिश्रा की युगल पीठ द्वारा प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएँ, रजिस्ट्रार, आयुर्वेद, यूनानी एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड, प्रबंध निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, क्षेत्रीय निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, कलेक्टर जबलपुर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर और जिला कार्यक्रम प्रबंधक जबलपुर को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह के भीतर जबाव मांगा गया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता परितोष गुप्ता ने न्यायालय को बताया कि कोविड महामारी के प्रभावी प्रबंधन हेतु राश्ट्रीय स्वास्थ्य मिषन भोपाल के द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर द्वारा अपने आदेष दिनांक 03/10/2021 के क्रमांक-4, 5 और 15 में रामकुमार चौधरी, संतोष कुमार मार्को और शुभम अवस्थी आदि फर्जी डिग्री और बिना डिग्री के झोलाछाप डाक्टरों के दस्तावेजों का सत्यापन किये बिना ही आयुश चिकित्सक के रूप में चयन कर लिया गया था। जिसमें से विक्टोरिया अस्पताल में आयुष चिकित्सक की नियुक्ति पाने के लिए झोलाछाप डाक्टर शुभम अवस्थी ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से आयुर्वेद स्नातक की कूटरचित डिग्री बनाकर पेश की थी। उस डिग्री में अवस्थी ने यह झूठ भी छलपूर्वक अंकित किया था कि उसने शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय जबलपुर से पढ़कर यह डिग्री प्राप्त की थी। इतना ही नहीं, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवस्थी के द्वारा मध्यप्रदेश आयुर्वेद तथा यूनानी चिकित्सा पद्धति एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड भोपाल में ऑफलाइन पंजीयन मूड से पंजीयन क्रमांक 56970 प्राप्त किया जबकि इस नंबर पर वास्तव में डॉक्टर इरम जहां मंसूरी का नाम रजिस्टर में दर्ज है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय को धोखा देकर शुभम अवस्थी के द्वारा आयुष चिकित्सक का पद और वेतन प्राप्त कर 1 साल तक मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया। शुभम अवस्थी झोलाछाप डॉक्टर होने पर भी स्वयं के नाम के आगे डाक्टर लिखता है। उसके द्वारा अल्टरनेटिव सिस्टम आफ मेडिसिन के स्नातक व स्नातकोत्तर की फर्जी डिग्री बनाई और उसमें अपने नाम के आगे डाक्टर लिखा जो कि कानूनन वह नहीं लिख सकता था। वह बिना सीएमएचओ के पंजीयन के मां नर्मदा आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र साउथ सिविल लाइन के नाम से अपना क्लीनिक चलाने का प्रचार कर रहा है। वर्तमान में शुभम अवस्थी के द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय व स्वास्थ्य विभाग में सीएसओ तथा डीएमटीओ पर नियुक्ति हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया है जबकि उसके पास बांछित मेडिकल या एलाइड साइंस में बैचलर डिग्री न होकर प्लेन बीएससी की डिग्री है और पब्लिक हेल्थ में बांछित स्नातकोत्तर डिग्री न होकर उसके पास एमबीए हॉस्पिटल मैनेजमेंट में डिग्री है अतः वह अपात्र है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राजनैतिक दबाव के कारण अयोग्य होने पर भी गैरकानूनी तरीके से उसे साक्षात्कार में शामिल किया गया। याचिकाकर्ता के द्वारा कलेक्टर, एसपी, क्षेत्रिय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर को शुभम अवस्थी के इन अपराधों के संबंध में शिकायत दर्ज कर उसके जरिए उसके विरुद्ध जनहित में कार्रवाई करने व शासकीय वेतन की वसूली की मांग की गई थी लेकिन शिकायत दर्ज किए 6 माह से अधिक समय होने पर भी कार्यवाही करना तो दूर, योग्य व्यक्तियों के स्थान पर अवस्थी को दौबारा से नियुक्ति देने की तैयारी की जा रही है। याचिका में यह मांग की गई है कि रजिस्ट्रार, आयुर्वेद, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड अवस्थी के फर्जी पंजीकरण को रद्द करने की कार्रवाई करें। उसकी आयुर्वेद चिकित्सक की डिग्री की सत्यता की जांच करे। कोविड 19 महामारी के दौरान फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त किए गए आयुष डॉक्टरों को भुगतान किए गए वेतन की वसूली ब्याज सहित करने के लिए कार्रवाई की जाए और उन्हें डॉक्टर शीर्षक का उपयोग करने और निजी प्रैक्टिस करने की अनुमति न दी जावे। दूसरी तरफ इस बहुचर्चित मामले में शिवसेना (उद्धव बालासाहेव ठाकरे) मप्र के प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेन्द्र बारी द्वारा भी न्यायिक दण्डाधिकारी जबलपुर की अदालत में परिवाद दायर कर अवस्थी के द्वारा आयुर्वेद परीक्षा की मार्कशीट, बीएमएएस डिग्री की कूटरचना व उनका आयुष डाक्टर का पंजीयन पाने व आयुष चिकित्सक पद की प्राप्ति व अस्पताल संचालन हेतु अवैध प्रयोग करने के अपराधों पर उनके खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया जाकर कारावास और जुर्माने से दंडित करने और अवस्थी के अवैध क्लीनिक को सील करने के संबंध में दायर परिवाद में सुनवाई की अगली तारीख तय की है।


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