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म.प्र पंचायत चुनाव पर बड़ी खबर, अधिकारियों को निर्देश, इस महीने हो सकती है चुनाव की तारीख घोषित


भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव के आरक्षण के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में फैसला आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के लिए आज 10 May की तारीख नियत की है। इसके बाद भी स्थिति स्पष्ट हो पायेगी। उसके हिसाब से प्रदेश में पंचायत चुनाव आयोजित किए जाने की दिशा में कार्य शैली को आगे बढ़ाया जाएगा। ऐसे पहले आयोग द्वारा मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए तैयारी पूरी कर ली गई है।चर्चाओं की माने तो मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए अगले पखवाड़े या जून जुलाई में अधिसूचना जारी की जा सकती। हालांकि अभी तक यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के अधीन है। इससे पहले पंचायतों का परिसीमन किया जा चुका है। वहीं राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची के पुनरीक्षण का भी कार्य पूरा कर लिया गया है। 10 मई को होने वाली सुनवाई में ओबीसी आरक्षण पर मामला स्पष्ट हो जाएगा। हालांकि ओबीसी आरक्षण को लेकर संभावना बेहद कम नजर आ रही है। इसी बीच आयोग द्वारा जल्द पंचायत नगरीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी किए जाने की संभावना को लेकर भी सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को जानकारी दी गई है।

बता दें कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करने के लिए अधिकतम 21 दिन का समय लग सकता है। पंचायत के परिसीमन के बाद 22985 पंचायत हुई है। जिसमें 2000 वार्ड को बढ़ाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने के बाद ओबीसी ST, SC के लिए आरक्षित हो पाएंगे। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि चुनाव का स्वरूप क्या होगा इस पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

राज्य निर्वाचन आयोग ने अधिकारियों से कहा कि चुनाव की तैयारियां पूरी कर ले। कभी भी इसकी घोषणा की जा सकती है। वही एक बार मार्च महीने के बाद फिर से पंचायत-नगर निकाय चुनाव की हलचल शुरू हो गई है। चुनाव जुलाई में होने की संभावना नजर आ रही है। इससे पहले नगर निकाय और पंचायतों के लिए 10 मई को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। मतदाता सूची के संबंध में 11 अप्रैल तक प्राप्त दावे और आपत्तियों का निराकरण किया जा चुका है। इधर राज्य निर्वाचन अधिकारियों को ईवीएम की एफएलसी के निर्देश भी दिए गए हैं। चुनाव अधिसूचना नामांकन पत्र जमा होने के बाद प्रत्याशियों के अनुसार चुनाव चिन्हों की सेटिंग की जाएगी।

बता दें कि इससे पहले राज्य पेशेवर कल्याण आयोग गठित करके राज्य शासन द्वारा मतदाता सूची का विश्लेषण कराया गया था। जिसमें 48% मतदाता पिछड़े वर्ग के हैं। ऐसी जानकारी सामने आई थी। इस आधार पर ओबीसी आरक्षण 35% करने की सिफारिश की गई थी। जिसके रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की गई है। हालांकि ओबीसी को 27% आरक्षण देने की संभावना बेहद कम नजर आ रही है।

इधर याचिकाकर्ता सैयद जफर का कहना है कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार ही प्रदेश में जल्द से जल्द पंचायत के चुनाव आयोजित होने चाहिए। 5 साल की अवधि पूरी होने के बाद प्रावधानों के अनुसार पंचायत के चुनाव को 6 महीने तक अधिक से अधिक आगे बढ़ाया जा सकता है लेकिन 3 साल पूरे होने के बाद भी प्रदेश के पंचायत चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसे में ज्यादा अवधि तक पंचायत चुनाव को लंबित रखना संविधान की मूल भावना के साथ खिलवाड़ है

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