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मध्य प्रदेश के ओबीसी वर्ग को पंचायत एवं नगर पालिका चुनाव में नहीं मिलेगा आरक्षण



भोपाल। मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश दिए है कि 15 दिन के अंदर पंचायत एवं नगर पालिका चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए। ओबीसी आरक्षण के मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार की रिपोर्ट को कोर्ट ने अधूरा माना। ऐसे में अब अधूरी रिपोर्ट होने के कारण मध्य प्रदेश के ओबीसी वर्ग को पंचायत एवं नगर पालिका में आरक्षण नहीं मिलेगा।दरअसल, राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने 35 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने की अनुशंसा सरकार से की है। इस आशय की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में भी प्रस्तुत की जा चुकी है। आयोग का दावा है कि प्रदेश में 48 प्रतिशत मतदाता ओबीसी है, इसलिए इस वर्ग को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए। इस मामले में सरकार पहले ही कह चुकी है कि हम माननीय अदालत के निर्देशानुसार चुनाव कराने के लिए तैयार हैं।

आज सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में सुनवाई की है, जिसमें मध्य प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों को फिर से सामान्य श्रेणी में अधिसूचित करने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि आरक्षण देने से पहले ट्रिपल टेस्ट की कसौटी को 1 हफ्ते में पूरा कर लेंगे।पिछड़ा वर्ग आयोग ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसके मुताबिक 49 फीसदी आबादी ओबीसी है, ऐसा नहीं होना चाहिए कि इतनी बड़ी आबादी स्थानीय निकाय में प्रतिनिधित्व से वंचित रह जाये, लिहाजा कोर्ट थोड़ा वक़्त और दे।



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