जबलपुर। हाई कोर्ट ने सिविल जज प्रारंभिक परीक्षा को चुनौती पर कहा कि अब मुख्य परीक्षा भी हो चुकी है। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ की डिवीजन बेंच ने कहा कि ऐसे में याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने सिविल जज परीक्षा के उम्मीदवार की याचिका इस टिप्पणी के साथ निरस्त कर दी। बालाघाट जिले के वारासिवनी निवासी मोहम्मद आजिमी खान की ओर से अधिवक्ता जितेंद्र तिवारी ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता मप्र उच्च न्यायिक सेवा प्रारम्भिक परीक्षा में शामिल हुआ था। कुल 47 पदों के लिए रिक्तियां निकाली गई थीं। याचिकाकर्ता ने परिणाम से संतुष्ट न होकर पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था। लेकिन यह मांग नामंजूर कर दी गई। उसे पांच प्रश्नों को लेकर आपत्ति थी। लेकिन उसकी यह आपत्ति दरकिनार करते हुए उसका अभ्यावेदन निरस्त कर दिया गया। इसी वजह से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता ब्रह्मदत्त सिंह ने तर्क दिया कि अब यह याचिका अप्रासंगिक हो गई है। क्योंकि मुख्य परीक्षा भी हो चुकी है। ऐसे में किसी तरह की राहत की मांग बेमानी है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका ठुकरा दी। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ की डिवीजन बेंच ने कहा कि ऐसे में याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने सिविल जज परीक्षा के उम्मीदवार की याचिका इस टिप्पणी के साथ निरस्त कर दी। राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता ब्रह्मदत्त सिंह ने तर्क दिया कि अब यह याचिका अप्रासंगिक हो गई है। कुल 47 पदों के लिए रिक्तियां निकाली गई थीं।
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