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'ये अपहरण जैसा था', इंफाल से निकाले गए कुकी समुदाय ने बताई आपबीती

मणिपुर हिंसा की आग तो फिलहाल थम गई है लेकिन कूकी समुदाय के लोगों की आपबीती सुन आप भी दंग रह जाएंगे. इंफाल के न्यू लाम्बूलेन इलाके में 10 परिवार अपने घर में रह रहे थे. आधी रात सुरक्षा बलों ने उन्हें जबरन गाड़ी में भरा और 25 किलोमीटर दूर कूकी इलाके में छोड़ आए.


मणिपुर चार महीने की हिंसा के बाद वीरान हो गया है. हिंसा की आग फिलहाल थम गई है. इंफाल से लेकर पहाड़ी तक इस दौरान मार-काट, बड़े स्तर पर तोड़फोड़-आगजनी देखी गई. उत्तर-पूर्वी राज्य की जातीय हिंसा देश में खासा चर्चा का विषय रहा. हिंसा के दौरान कूकी समुदाय को राजधानी से पहाड़ी इलाकों में शिफ्ट किए जाने की मैतेई की मंशा का भी गाहेबगाहे खुलासा हुआ. अब पता चला है कि कूकी-जोमी समुदाय इंफाल छोड़ पहाड़ी इलाकों में माइग्रेट कर चुके हैं. कई ने दावा किया कि सुरक्षा बलों ने उन्हें जबरन इंफाल से निकाल दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट की मानें तो हिंसा शुरू होने के बाद से हजारों की संख्या में कूकी समुदाय के लोग इंफाल से पहाड़ी इलाकों में शिफ्ट कर गए. यहां कूकी समुदाय के 10 परिवार फिर भी रह रहे थे, लेकिन शनिवार की आधी रात सुरक्षा बलों ने उनका घर खाली करा दिया. दस परिवार के 24 लोगों में एक जिमी टुथांग भी शामिल थे. मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्हें जबरन खाली कराया गया और यह ऐसा था जैसे उनका ‘अपहरण किया जा रहा हो.

बचे हुए कूकी परिवार न्यू लाम्बुलेन इलाके में रह रहे थे. पता चला कि पूरे शहर से इस क्षेत्र को काट दिया गया है. इसके छह एंट्री पॉइंट्स पर दीवार खड़ी कर दी गई है. टुथांग ने बताया कि खतरनाक रास्ते से उन्हें अपना घर खाली करने को मजबूर होना पड़ा. हिंसा के दौरान यहां रह रहे 300 परिवारों को अपना घर खाली करना पड़ा है. कुछ लोग अपने घर की रखवाली के लिए रुक गए. शनिवार को खाली कराने से पहले टुथांग परिवार का कहना है कि उन्हें बिना नोटिस घर से निकाला गया है.

टुथांग कहते हैं कि सुरक्षा बल जब उनका घर खाली कराने पहुंचे तो वे समझ ही नहीं पाए कि आखिर हो क्या रहा है? रिपोर्ट के मुताबिक, टुथांग ने बताया, ‘हम जैसे ही घर से बाहर आए, हमें गाड़ी में भर दिया गया.’ सुरक्षा बलों ने ना तो कुछ पैकिंग करने की मोहलत दी और ना ही कपड़े बदलने की. टी-शर्ट और निक्कड़ में ही उन्हें घर खाली करने को मजबूर किया गया. बलों ने यह भी नहीं बताया कि आखिर उन्हें कहां ले जाया जा रहा है? टुथांग के मुताबिक, रात के अंधेरे में जब अगली बार गाड़ी का दरवाजा खुला तो वे मोटबंग में थे. मोटबंग कूकी बहुल कांगपोकपी में पड़ता है, जो न्यू लाम्बुलेन से 25 किलोमीटर की दूरी पर है. कहानी यहीं खत्म नहीं होती.

सुरक्षा बल और पुलिस के जवान खाली करने के लिए बना रहे थे दबाव

अंग्रेजी मीडिया संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को घर खाली कराए जाने से पहले असम राइफल्स और पुलिस के जवान लगातार इन 10 परिवारों पर घर खाली कराने का दबाव बना रहे थे. बकौल टुथांग, सभी 10 परिवार ने घर की रखवाली करने की मंशा से अपने घर में रहने का फैसला किया था. टुथांग और वहां मौजूद लोगों ने कहा कि सुरक्षा बलों को उन्होंने पहले ही साफ कर दिया था कि अगर उन्हें सुरक्षा नहीं मिल सकती तो कोई बात नहीं… लेकिन वे अपने ही घर में रहकर मरना पसंद करेंगे.

3 मई को राज्य में फैली हिंसा जब इंफाल तक पहुंची तो सबसे पहले कूकी बहुल न्यू लाम्बुलेन बस्ती पर ही हमला हुआ. यह इलाका पूर्व और दक्षिण से मैतेई, उत्तर में मुस्लिम और पश्चिम में नागाओं की बस्तियों से घिरा है. हाल में यहां जुलाई के आखिरी में हिंसा भड़की थी. कूकी समुदाय के छह घरों को आग लगा दिया गया था. इसमें दो मैतेई समुदाय के घर में जलकर खाक हो गए थे, जो कूकियों के घर से ही सटे हुए थे.

मणिपुर कूकी समुदाय के लोग कहते हैं कि सुरक्षा बल उन्हें सुरक्षा दे पाने में नाकाम है. उनकी गैर-मौजूदगी में उनका घर जला दिया जाता, इसी डर से उन्होंने अपने घर में ही रहने का फैसला किया. हालांकि, अब वे पहाड़ी इलाके या यूं कहें कि कूकी इलाके में भेज दिए गए हैं.


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