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वकीलों में बढ़ रही नाराजगी, एमपी स्टेट बार कौंसिल का गतिरोध संवादहीनता से हो रहा विकराल


जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में लगभग एक लाख से अधिक वकीलों है जिनका पंजीयन करने वाली संस्था का गतिरोध संवादहीनता से विकराल होता जा रहा है। ऐसे में दोनों गुटों के बीच खींचतान बरकरार है। वही चेयरमैन डा.विजय कुमार चौधरी व कार्यकारिणी अध्यक्ष मृगेंद्र सिंह के मध्य आदेशों को पारित व निरस्त करने की नूराकुश्ती देखने को मिल रही है। इस वजह से कर्मचारी वेतन से वंचित हैं। अधिवक्ता कल्याण की दिशा में ठोस कार्य नहीं हो पा रहा है। वाइस चेयरमैन आरके सिंह सैनी व को-चेयरमैन मनीष तिवारी का आरोप है कि दूसरा पक्ष हठधर्मी है। वह चेयरमैन का सम्मान नहीं कर रहा है। यह अनुचित है। कार्यकारिणी से ऊपर चेयरमैन होते हैं। लेकिन इस तथ्य को झुठलाया जा रहा है। इससे प्रदेश के वकीलों के बीच आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इसके नतीजे ठीक नहीं होंगे। प्रवक्ता राधेलाल गुप्ता का तर्क है कि संवाद के जरिये समाधान संभव है। इसके लिए संयुक्त समन्वय बैठक होनी चाहिए। पूर्व चेयरमैन रामेश्वर नीखरा इस सिलसिले में मील का पत्थर बन सकते हैं। उनको बार कौंसिल आफ इंडिया ने बागडोर भी सौंपी थी। लेकिन उनकी बात दोनों पक्ष नहीं सुन रहे। इसलिए उन्होंने भी चुप्पी साध ली है। लंबे समय तक स्टेट बार सचिव रह चुके राजेंद्र जैन का कहना है कि स्टेट बार की समृद्ध परम्परा रही है। ऐसे में दोनों पक्षों को गंभीरता का परिचय देना होगा। इससे वकीलों का कल्याण संभव होगा। इसके लिए समय रहते प्रयास करना होगा। यदि इस दिशा में लापरवाही बरती गई तो वकीलों की नाराजगी बढ़ जाएगी। आगामी चुनाव में माैजूदा सदस्यों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में दोनों पक्ष एकता की दिशा में ध्यान दें। परस्पर खींचतान से निराशा ही हाथ लगेगी। समन्वय से बेहतर नतीजे सामने आएंगे। पूर्व में भी स्टेट बार में गतिरोध आया था, लेकिन समय रहते दूर कर लिया गया। लेकिन इस बार बात बिगड़ती गई है। इस रवैये पर अंकुश अनिवार्य है। ऐसा न होने पर राज्य के वकील विद्रोह कर सकते हैं।

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