संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिना किसी का नाम लिए विपक्ष को बड़ा संदेश दिया है ।उन्होंने कई ट्वीट कर ना सिर्फ लोगों को संविधान दिवस की महत्वता के बारे में बताया है बल्कि इस बात पर भी जोर दिया है कि विचारधारा के मतभेद जन सेवा में कभी भी बाधा नहीं बनना चाहिए। वे कहते हैं कि विचारधारा में मतभेद हो सकते हैं लेकिन कोई भी मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि वह जन सेवा में वास्तविक उद्देश्य के लिए बाधा बने सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों में प्रतिस्पर्धा होना चाहिए स्वाभाविक है लेकिन यह प्रतिस्पर्धा बेहतर प्रतिनिधि बनने के और जनकल्याण के लिए बेहतर काम करने की होनी चाहिए तभी इसे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा माना जाएगा संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंदिता नहीं समझा जाना चाहिए रामनाथ कोविंद ने इस बात पर जोर दिया कि संसद में सभी का आचरण हमेशा सही रहना चाहिए ऐसा आचरण जो पूजा करते वक्त देखा जाता है उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि हम सब लोग यह मानते हैं कि हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है हर सांसद की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे लोकतंत्र के इस मंदिर में श्रद्धा की उसी भावना के साथ आचरण करें जिसके सामने पूजा ग्रहों और इबादत ग्रहों में करते हैं प्रतिपक्ष वास्तव में लोकतंत्र का सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है सच तो यह है कि प्रभावित प्रतिपक्ष के बिना लोकतंत्र निष्प्रभावी हो जाता है सरकार और प्रतिपक्ष अपने मतभेदों के बावजूद नागरिकों के सर्वोत्तम हितों के लिए मिलकर काम करते रहे यही अपेक्षा की जाती
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