जबलपुर। हाई कोर्ट ने शादीशुदा और बच्चों का पिता होने की बात छिपाकर दूसरी महिला के साथ 10 साल से लिव-इन में रहने वाले को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने कहा कि आवेदक के खिलाफ एफआइआर में गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए यह जमानत देने का मामला नहीं बनता।
यह है मामला
अंधेरदेव, जबलपुर में रहने वाले नरेश सिंह राठौर ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। पीड़िता ने नरेश के खिलाफ महिला पुलिस थाना में भादंवि की धारा 376(2)एन, 417, 406 एवं 506 के तहत मामला पंजीबद्ध कराया है। जमानत आवेदन पर आपत्ति पेश करते हुए शासकीय अधिवक्ता प्रियंका मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि आवेदक ने दस साल पहले पीड़िता को शादी का झांसा देकर उसके साथ लिव-इन में रहने लगा। दोनों का एक बच्चा भी है। जब पीड़िता ने उससे शादी करने का दबाव बनाया तो उसने इनकार कर दिया। पतासाजी करने पर पीड़िता को पता लगा कि नरेश पहले से शादीशुदा है और बच्चों का पिता भी है। आरोप है कि पीड़िता से यह तथ्य छिपाकर वह लगातार उसका दैहिक शोषण करता रहा। राज खुलने पर पीड़िता ने उसके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। गिरफ्तारी से बचने नरेश ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पेश किया जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने तथ्य छिपाने के रवैये को आड़े हाथों लिया। शासकीय अधिवक्ता प्रियंका मिश्रा ने मामले को गंभीर बताया। कोर्ट तर्क से सहमत हुआ। लिहाजा, आवेदक की यह अर्जी खारिज कर दी गई।
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